Tuesday, May 13, 2025

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संवेदना है चिकित्सक की सबसे बड़ी पहचान: योगी

गोरखपुर, 18 अप्रैल (वार्ता) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को कहा कि एक चिकित्सक की सबसे बड़ी पहचान उसकी संवेदना होती है। यदि किसी डॉक्टर के मन में संवेदना नहीं है तो वह डॉक्टर कहलाने का अधिकारी है या नहीं, इस पर विचार होना चाहिए।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के परिसर में 500 लोगों की क्षमता वाले विश्राम सदन (रैन बसेरे) का भूमि पूजन-शिलान्यास करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुये उन्होने कहा कि 44.34 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला यह विश्राम सदन पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा विश्राम सदन होगा। इसका निर्माण पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सीएसआर निधि से कराया जा रहा है।

शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी चिकित्सा संस्थान डॉक्टर के व्यवहार के माध्यम से संवेदना का केंद्र भी होता है। संवेदना के इस केंद्र में अगर एक मरीज भर्ती होने आता है तो उसके साथ कम से कम 3 या 4 अटेंडेंट होते हैं। पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो कई बार अटेंडेंट की संख्या 10 तक हो जाती है। ऐसे में मरीज के साथ आने वाले अटेंडेंट को आश्रय की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि 500 बेड के विश्राम सदन के शिलान्यास के साथ ही गोरखपुर एम्स को एक नई उपलब्धि प्राप्त हुई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एम्स गोरखपुर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2016 में किया था। 2019 में एम्स गोरखपुर का पहला मैच एडमिशन लिया था और 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एम्स का लोकार्पण किया था। 2016 में जो बीज एम्स के रूप में गोरखपुर में रोपा गया था, आज वह एक वटवृक्ष बनकर हजारों पीड़ितों को आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, एक नया जीवनदान देने का केंद्र बन गया है।

उन्होंने कहा कि एम्स गोरखपुर में होगा, यह एक कल्पना मात्र लगती थी। हम लोग 2003 से इस आवाज को उठा रहे थे। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे। एम्स दिल्ली के बाहर भी स्थापित होंगे, इसके लिए उन्होंने छह एम्स की घोषणा की थी। पर, उसके बाद यह क्रम थम सा गया। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बिना भेदभाव, सबका साथ, सबका विकास के मंत्र का साकार रूप स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा है। देश के अंदर 22 नए एम्स पीएम मोदी के कार्यकाल में, 10 वर्षों में बने हैं या बन रहे हैं। उनमें से गोरखपुर एम्स भी एक है। गोरखपुर में एम्स बने, इसके लिए 2003 में उठाई गई आवाज को 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आकार दिया।

योगी ने कहा कि वर्तमान में एम्स गोरखपुर की ऑक्युपेंसी 75 से 80 प्रतिशत है। आईसीयू, क्रिटिकल केयर और ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीज के परिजन उनके साथ नहीं रह सकते। उन्हें बाहर ही रहना पड़ता है। इस कैम्पस में कम से कम 1200 लोग ऐसे होंगे जिनको बाहर जहां-तहां सिर छुपाने के लिए पटरी पर, सड़कों के किनारे या फिर किसी अन्य जगह पर जाकर रहने के लिए मजबूर होना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति खुले में गर्मी, सर्दी या बारिश झेलने को मजबूर हो तो यब अमानवीय लगता है। ऐसे में यह आवश्यक है कि हम अपना मानवीय स्वरूप बनाएं और उन लोगों के बारे में सोचा जो अपने मरीज की पीड़ा के साथ यहां पर जुड़े हुए हैं। विश्राम सदन के रूप में हम ऐसी व्यवस्था बनाएं जहां पर अटेंडेंट को मिनिमम यूजर चार्ज पर रहने और सस्ते कैंटीन की सुविधा हो।

मुख्यमंत्री ने करीब डेढ़ वर्ष पहले लखनऊ में एसजीपीजीआई के अपने दौरे के दौरान सड़कों पर बड़ी संख्या में लोगों को देख उनकी व्यवस्था के लिए अटेंडेंट शेल्टर होम बनाने के निर्देश दिए थे। मन में आया कि एसजीपीजीआई, केजीएमयू, बीएचयू में और एम्स गोरखपुर में पेशेंट अटेंडेंट के लिए कोई केंद्र बनने चाहिए। इसकी जिम्मेदारी अवनीश अवस्थी को दी गई। उन्होंने प्रयास शुरू किए तो पेट्रोलियम मिनिस्ट्री ने एसजीपीजीआई, केजीएमयू और आरएमएल के लिए तीन रैन बसेरे दिए। पावर मिनिस्ट्री के सहयोग से एम्स गोरखपुर के लिए रैन बसेरा स्वीकृत हुआ।

योगी आदित्यनाथ ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 20 साल पहले इंसेफेलाइटिस के पीक समय में शुरू किए गए तीमारदारों के भोजन के लिए रियायती मॉडल का भी उल्लेख करते हुये कहा कि एक समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज इंसेफेलाइटिस हॉटस्पॉट था। वहां पर समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के पेशेंट आते थे। वहां पर बड़ी अव्यवस्था देखने को मिलती थी। लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं होता था। उस समय हम लोगों ने एक स्वयंसेवी संस्था से मिलकर व्यवस्था कराई थी। उस समय आठ रुपये में तीमारदारों के लिए दाल, चावल, रोटी, सब्जी की व्यवस्था शुरू की गई। उन्होंने कहा कि आज भी पेशेंट के अटेंडेंट को बीआरडी मेडिकल कॉलेज और गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय में भी दस रुपये में भरपेट दाल, चावल, सब्जी, रोटी की सुविधा आज भी प्राप्त हो रही है।

मुख्यमंत्री ने अपेक्षा जताई कि एम्स को आसपास के जिलों के मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में टेली कंसल्टेशन के जरिए विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए। उन्होंने इसके लिए कोरोना काल में एसजीपीजीआई, केजीएमयू और आरएमएल के जरिये प्रशिक्षण देकर बनाए गए सिस्टम मॉडल का भी उल्लेख किया और बताया कि बाद में इससे हर जिले में आइसीयू और वेंटिलेटर की सुविधा मिली थी।

उन्होंने कहा कि टेली कंसल्टेशन जैसी टेक्नोलॉजी का उपयोग कर अधिक से अधिक लोगों को राहत दी जा सकती है। कहा कि एम्स जैसे संस्थान आज जिनकी ओपीडी 4000 तक पहुंच चुकी है, अगर यहां पर सभी सुपर स्पेशलिटी की फैकल्टी आ जाएं तो यही ओपीडी जा 10000 पर चली जाएगी। ऐसे में एसजीपीजीआई की तर्ज पर एम्स गोरखपुर पूर्वी उत्तर प्रदेश का चिकित्सा हब बने और यहां से अन्य मेडिकल कॉलेजों को जोड़ते हुए यहां से टेली कंसल्टेशन दी जाए। इससे सामान्य मरीज को भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।

योगी ने सरकारी चिकित्सा संस्थानों के डॉक्टरों को नसीहत दी कि वह अनावश्यक रूप से मरीजों को लखनऊ रेफर करने की प्रवृत्ति से बचें। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में मेडिकल कॉलेज बन गए हैं, उनमे से कई में अभी भी मरीज को क्रिटिकल केयर या ट्रॉमा की सुविधा देने के लिए कोई रिस्क नहीं लिया जाता। पेशेंट को लखनऊ के लिए रेफर दिया जाता है। यह सब बंद होना चाहिए। क्रिटिकल केयर उपलब्ध कराते हुए रिस्क लेने की आदत डालनी होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर मरीज डॉक्टर के लिए नए अनुभव और ज्ञान का आधार होता है। ऐसे में उन्हें मरीज को समय देना होगा। हम दस या पन्द्रह मरीज तक खुद को सीमित न कर लें। याद रखना चाहिए कि दुनिया के अंदर जितने भी अच्छे रिसर्च हुए हैं वह उन लोगों ने किए हैं जिनमें अधिक से अधिक डाटा कलेक्ट करने का सामर्थ्य रहा है।

सांसद रविकिशन शुक्ल ने कहा कि एम्स गोरखपुर की स्थापना का श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को है। उन्होंने इस संस्थान के लिए अपना खून-पसीना बहाया है। जनता को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराना हमेशा से उनकी उच्च प्राथमिकता रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौनिहालों के लिए त्रासदी रही इंसेफेलाइटिस पर पूर्ण नियंत्रण इसका प्रमाण है।

शिलान्यास समारोह में एम्स गोरखपुर की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन देशदीपक वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन और सहयोग से कम समय में ही गोरखपुर एम्स की उपलब्धियां मौन क्रांति की तरह है। वर्तमान में यहां पांच सुपर स्पेशलिटी डिपार्टमेंट संचालित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि गोरखपुर का एम्स प्रथम श्रेणी वाले संस्थानों की कतार में तेजी से शामिल हो रहा है।

इस अवसर पर एम्स गोरखपुर की कार्यकारी निदेशक डॉ. विभा दत्ता ने कहा कि विश्राम सदन सिर्फ एक भवन नहीं है बल्कि रोगियों के परिजनों को आश्रय और बुनियादी सुविधाएं सुविधा दिलाने का संवेदनशील कदम है। उन्होंने कहा कि एम्स गोरखपुर चिकित्सा सुविधाओं के क्षेत्र में धीरे-धीरे नई ऊंचाइयों को छू रहा है। स्वागत संबोधन में पावरग्रिड के निदेशक (कार्मिक) यतींद्र द्विवेदी ने मुख्यमंत्री के स्वागत करते हुए बताया कि विश्राम सदन के निर्माण को 31 मार्च 2027 तक पूर्ण किए जाने का लक्ष्य है ।

इस अवसर पर महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव समेत कई जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री के सलाहकार अवनीश अवस्थी, पावरग्रिड के कार्यपालक निदेशक (सीएसआर) जसवीर सिंह, उत्तरी क्षेत्र-3 के कार्यपालक निदेशक वाई.के. दीक्षित, उत्तरी क्षेत्र-3 के मानव संसाधन प्रमुख रमन सहित पावरग्रिड तथा एम्स, गोरखपुर के वरिष्ठ अधिकारी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। एम्स गोरखपुर की गवर्निंग काउंसिल के चेयरमैन देशदीपक वर्मा और पावरग्रिड के निदेशक (कार्मिक) यतीन्द्र द्विवेदी ने मुख्यमंत्री को अंगवस्त्र, स्मृतिचिन्ह आदि भेंटकर उनका अभिनंदन किया। शिलान्यास के बाद और अपने सम्बोधन से पूर्व सीएम योगी ने विश्राम सदन के मैप, ले आउट का अवलोकन कर प्रोजेक्ट की जानकारी ली और जरूरी निर्देश दिए।

Universal Reporter

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