नयी दिल्ली 12 मार्च (वार्ता) नौसेना के कमांडर आयुष रंजन वास्तव में एक सच्चे नौसैनिक योद्धा हैं जिन्होंने कैंसर के कारण एक पैर गंवाने के बावजूद अपने दृढ निश्चय और इच्छाशक्ति से बीमारी को हावी नहीं होने दिया तथा अपने लक्ष्यों पर ध्यान केन्द्रीत रखा।
नौसेना के प्रवक्ता ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर कमांडर रंजन की कहानी साझा करते हुए लिखा है कि शारीरिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, उनका दृढ़ संकल्प अटल रहा। उन्होंने कैंसर से बेजोड़ साहस के साथ लड़ते हुए कभी अपनी बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने दिया।
कमांडर रंजन ने तमाम चुनौतियों के बावजूद लेखन जारी रखा और अपनी पुस्तक ‘असमंजस से आगे’ को पूरा किया। उन्होंने यह पुस्तक मंगलवार को खुद एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी को भेंट की।
नौसेना का कहना है कि कमांडर रंजन की यात्रा सभी को एक सबक सिखाती है कि कभी हार मत मानो। यह पुस्तक अधिकारी द्वारा ओस्टियोसारकोमा के उपचार के दौरान बाएं पैर के विच्छेदन की सर्जरी से उबरने के दौरान लिखी गई कविताओं का संकलन है।
कमांडर रंजन की कहानी हमें याद दिलाती है , “ जीवन चाहे कितना भी कठिन क्यों न हो, हम हमेशा उठ सकते हैं, अनुकूल हो सकते हैं और जीत सकते हैं। हर बाधा के बावजूद, वे अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहे और लेखन के अपने जुनून को जारी रखा। उनकी कहानी हमें आगे बढ़ते रहने के लिए प्रेरित करती है, चाहे आपके सामने कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों। लचीलेपन और दृढ़ संकल्प के साथ, हम जो हासिल कर सकते हैं उसकी कोई सीमा नहीं है।”