Tuesday, May 13, 2025

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टीबी उन्मूलन के नवाचारों और रणनीतियों पर हुआ मंथन

गोरखपुर। वर्ष दो हजार पचीस के अंत तक गोरखपुर और आसपास के जिलों में टीबी उन्मूलन की प्रभावी रणनीति को लागू करने के लिए शहर के एक निजी होटल में शुक्रवार को देर शाम तक मंथन किया गया। इस मौके पर दस जिलों की राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम इकाइयों को प्रशिक्षित किया गया। इस दौरान टीबी उन्मूलन की आधुनिकतम प्रक्रियाओं, नवाचारों और रणनीतियों पर विस्तार से चर्चा हुई। कार्यक्रम का आयोजन आरटीपीएमयू गोरखपुर, बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला क्षय रोग केंद्र (डीटीसी) और स्टेट टीबी एसोसिशएन के समन्वित प्रयासों से हुआ।

अपर निदेशक चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण डॉ बीएम राव, संयुक्त निदेशक डॉ अरूण गर्ग, गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अरूण कुमार चौधरी, जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव और बीआरडी मेडिकल कॉलेज से आए विशेषज्ञ व उपाध्यक्ष स्टेट टीबी फोरम डॉ अश्विनी मिश्रा ने प्रमुख अतिथियों के तौर पर कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में आरटीपीएमयू गोरखपुर के तहत आने वाले सभी दस जिलों के जिला क्षय उन्मूलन अधिकारियों और उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारियों समेत स्टॉफ ने प्रतिभाग किया।

गोरखपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और स्टेट टीबी एसोसिएशन के प्रतिनिधि डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने बताया कि यह प्रशिक्षण टीबी के संक्रमण दर को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। इसका उद्देश्य नये टीबी रोगियों को खोजने और उनका समय से उपचार करने के आधुनिकतम तौर तरीकों से परिचित कराना था।

गोरखपुर के जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव ने बताया कि प्रशिक्षण में वरिष्ठ विषय विशेषज्ञ डॉ अमरेश कुमार सिंह, डॉ अनुराग शुक्ला, डॉ नेहा कपूर, डॉ हरीश तिवारी, डॉ एएन त्रिगुण, डॉ अजीत यादव, डॉ राहुल सरीन, डॉ शिवम पांडेय, डॉ नाबिल और डॉ एनके द्विवेदी ने कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। यह आयोजन राज्य टीबी अधिकारी, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा और मिशन निदेशक के निर्देश पर किया गया। कार्यक्रम का संचालन एसटीडीसी गोरखपुर की चिकित्सा अधिकारी डॉ अभिलाषा श्रीवास्तव ने किया।

गोरखपुर के उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, मनीष गुप्ता, अभय नारायण मिश्रा, राकेश कुमार सिंह, डीपीसी गोरखपुर धर्मवीर प्रताप सिंह और श्वेता समेत गोरखपुर जिला क्षय रोग केंद्र के सभी स्टॉफ ने आयोजन में विशेष योगदान दिया।

छिपाने से नहीं उपचार से ठीक होता है टीबी

सीएमओ डॉ दूबे ने बताया कि भय और भ्रांति के कारण नये टीबी मरीज सामने नहीं आते हैं जिससे संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। एक गैर उपचाराधीन टीबी मरीज एक वर्ष में दस से पंद्रह स्वस्थ लोगों को टीबी से संक्रमित कर देता है। वहीं, अगर समय से टीबी का उपचार शुरू हो जाए तो तीन से चार हफ्ते बाद उपचाराधीन मरीज से संक्रमण की आशंका नहीं रह जाती है। इन गतिविधियों का उद्देश्य लोगों तक सही संदेश पहुंचा कर भेदभाव और कलंक की दुर्भावना को समाप्त करना है ताकि टीबी का उन्मूलन किया जा सके।

चल रहा है अभियान

सीएमओ ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस एसोसिएशन ऑफ इंडिया, एक्शन अगेंस्ट स्टिगमा (आस) अभियान के जरिये टीबी उन्मूलन के लिए जनजागरूकता की मुहिम चला रहा है। इस अभियान का उद्देश्य बीमारी के प्रति लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना है।

Universal Reporter

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