तहसील स्तर पर खुलेंगे आयुष औषधि केंद्र
नयी दिल्ली, 27 सितंबर (वार्ता) केंद्रीय आयुष मंत्री प्रताप राव जाधव ने शुक्रवार को कहा कि आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी तथा अन्य भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए शुद्ध और प्रमाणिक दवा उपलब्ध कराने के लिए देशभर में तहसील स्तर पर आयुष औषधि केंद्र खोले जायेंगे।
श्री जाधव ने यहां मंत्रालय की 100 दिन की उपलब्धियों का ब्योरा देते हुए कहा कि देश के दूर दराज के हिस्सों आयुष औषधियां नहीं मिलने की मामला सामने आ रहा है। इससे निपटने के लिए देशभर में तहसील स्तर पर आयुष औषधि केंद्र खोलने की योजना बनायी गयी है। ये शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में होंगे। पहला आयुष औषधि केंद्र राष्ट्रीय राजधानी के अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में नौ अक्टूबर को खोल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि ये आयुष केंद्र शुद्ध और प्रमाणिक दवा उपलब्ध करायेंगे। केंद्र सरकारी निजी भागीदारी से खोले जाएगें।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश के दूर दराज के क्षेत्रों में कई वैद्य बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान कर रहे हैं। हालांकि ये औपचारिक शिक्षा प्राप्त नहीं है। सरकार की योजना ऐसे वैद्य को प्रमाणिक करने और उन्हें वैध करने की है। उन्होंने कहा कि ऐसे वैद्यों की चिकित्सा पद्धतियों और दवाओं को प्रमाणिक करने का मौका दिया जाएगा और यदि उनका दावा सफल होता है तो सरकार उसे पेंटेंट कराने में मदद करेगा। ऐसे वैद्यों की चिकित्सा पद्धति को बड़े पैमाने पर प्रयोग करने के लिए स्थापित कंपनियों के साथ समझौता किया जाएगा।
श्री जाधव ने कहा कि आयुष उपचार को आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना में शामिल कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में हैं। इसे जल्दी ही पूरा कर दिया जाएगा। लगभग 150 उपचार प्रक्रियाओं का मानकीकरण हो चुका है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के लिए आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर बड़े स्तर पर कार्य कर रहा है। भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में बेहतर तरीके से एकीकृत करने और साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के लिए मजबूत आधार बनाने की दिशा में काम हो रहा है। भारत और वियतनाम ने औषधीय पौधों के क्षेत्र में सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते का उद्देश्य औषधीय पौधों पर शोध, संसाधन और जानकारी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना है।भारत और मलेशिया ने पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।