प्रयागराज,31 मई (वार्ता) मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि देश के सभी हाईकोर्ट के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय आदर्श बना हुआ है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय परिसर में 680 करोड़ रूपए की लागत से तैयार मल्टीलेवल पार्किंग और अधिवक्ताओं के लिए तैयार वातानुकूलित चैंबर्स का शनिवार को उद्घाटन करने के बाद मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि न्यायिक क्षेत्र में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है। प्रयागराज की धरती विभूतियों से भरी है। अधिवक्ताओं में मोती लाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, हिंदी साहित्य महादेवी, हरिवंश राय बच्चन, पंत, निराला, अकबर इलाहाबादी का नाम प्रमुख है। स्वतंत्रता की लड़ाई के लिए चंद्रशेखर आजाद का नाम प्रमुख है। उन्होंने देश के लिए अपना बलिदान दिया।
मुख्य न्यायाधीश ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उन्हे देश का सबसे शक्तिशाली मुख्यमंत्री बताया। उन्होंने अधिवक्ताओं के लिए 680 करोड़ रूपए की लागत से तैयार होने वाले वातानुकूलित चैंबर्स और मल्टीलेवल पार्किंग के लिए सराहना की।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि हमारे देश का संविधान 75 साल में मजबूती की ओर है। भारत प्रगति की ओर बढ़ रहा है। भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति क्या है बताने की जरूरत नहीं है। अधिवक्ताओं के लिए इतनी बड़ी इमारत और इतनी सुविधाएं अन्य देश तो क्या दुनिया में कहीं नहीं है। वादकारी का भी हम ख्याल रख रहे हैं। वादकारियों के लिए व्यवस्था की जा रही है। देश का नागरिक न्याय के लिए आता है। उसका पूरा ख्याल उच्च न्यायालय में रखा जाता है।
उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायमूर्तियों के 12 बंगलों को तोड़कर यह पार्किंग बनाई गई है। बंगला छोड़ देना मामूली बात नहीं है। उन्होंने इसके लिए यहां के जजों के प्रति भी आभार जताया। मुख्य न्यायमूर्ति ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने एक बार जो भाषण दिया वह देश को एक दिशा देने वाला संबोधन था। उन्होंने कहा था कि आज “हम वन पर्सन, वन वोट और वन वैल्यू की ओर जा रहे हैं। बाबा साहब ने चेतावनी दी कि जब तक हम देश में आर्थिक असमानता दूर नहीं कर पाएंगे तब तक देश में लोकशाही स्थापित नहीं कर पाएंगे।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विधि के शासन में बार, बेंच के अलावा वादकारी की बड़ी भूमिका होती है। उसकी सुविधाओं का भी ख्याल रखा गया है। मुकदमों की पैरवी के लिए उच्च न्यायालय पहुंचने वाले मुवक्किल को पेड़ के नीचे नहीं बैठना पड़ेगा। न्यायिक गति तेजी बढ़े। सभी लोग बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बनाए गए संविधान के अनुरूप कार्य करेंगे ऐसी उम्मीद है।
1973 से पहले जब मौलिक अधिकार और मौलिक कर्तव्यों के बीच में टकराव होता था तो मौलिक अधिकार को वरीयता दी जाती थी। लेकिन 1974 केशव नाथ भारती का मामला आया जिसमें बुनियादी संरचना का सिद्धांत दिया गया। इस सिद्धांत का अनुसरण करते हुए 50 साल हो गया है। बार और बेंच को बिना साथ लेकर चले हम आगे नहीं बढ़ सकते हैं। यह निर्माण कार्य सभी हाईकोर्ट के लिए आदर्श है। इससे प्रेरणा लिया जा सकता है।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधि एवं न्याय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल, इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश अरूण भंसाली समेत तमाम न्यायमूर्ति, न्यायालय के पदाधिकारी, बार के पदाधिकारी, मंत्री, सांसद, विधायक और बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।